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अमरनाथ यात्रियों पर आतंकी हमला क्रूरता और बर्बरता को दर्शाता है। हर एक मानववादी व्यक्ति ऐसी घटनाओं कि निंदा करने से कभी पीछे नहीं हटता। एक व्यक्ति जो सच्चे धर्म का पालन करना जनता हो और सच्ची राष्ट्रभक्ति को जनता हो, तो वो कभी भी किसी भी ऐसे आतंकी हमले की निंदा करता रहेगा या यह कहना चाहिये कि जिसके ह्रदय में इंसानियत है, वो इन्सान के मारने वाले शैतनों का कभी समर्थन नहीं करेगा।
निर्दोष लोगों की हत्या से मेरा दिल भी अत्यंत दुखी है, पर यहां सवाल उठता है कि अमरनाथ यात्रियों पर हमला और लश्कर का आतंकी संदीप कुमार शर्मा उर्फ आदिल की गिरफ़्तारी के बीच कोई लिंक तो नहीं है? आखिर अमरनाथ यात्रियों कि इतनी सुरक्षा के बीच आतंकी हमला कैसे हुआ? आखिर सुरक्षा एजेंसियों द्वारा सतर्क करने के बाद भी इतनी बड़ी चूक कैसे हुई?
अमरनाथ यात्रियों पर इतना बड़ा आतंकी हमला, कहीं न कही केंद्र सरकार और राज्य सरकार की विफलता को दर्शता है। याद रहे दशकों से अमरनाथ यात्रा की जाती रही है पर आज तक इतना बड़ा आतंकी हमला नहीं हो पाया पर अफ़सोस पूरी दुनिया में अपनी शक्ति और आतंक के खिलाफ खड़ा होने की जुमलेबाज़ी करने वाले हमारे देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी अपने ही देश के निर्दोष लोगों कि जान बचाने से विफल रहे हैं।
प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी विदेशी यात्राओं को सफल बनाने से देश नहीं चलता, बल्कि देश की जनता की सुरक्षा को सफल बनाने से देश उन्नति करता है। जिस देश में अशांति होती है, वो देश कभी उन्नति नहीं कर सकता।
हमारे देश कि केंद्र सरकार को बहुत सोच-विचार करने की आवश्यकता है कि आखिर 3 वर्षों में हमारे देश की सीमाएं असुरक्षित क्यों हैं? धर्म व जात-पात के नाम पर लोग एक-दूसरे के साथ हिंसा क्यों हो रहे हैं? कश्मीर, नागालैंड, बंगाल आदि जैसे इलाको में हिंसा क्यों पनप रही है? मेरी सोच तो यही कहती है कि यह सब केंद्र सरकार कि विफलता है। एवं हमारे देश के प्रधानमंत्री अब तक के सबसे कमज़ोर प्रधानमंत्री हैं। मुझको लगता है कि उनका सीना ऊपर से 56 इंच का जरूर होगा पर अन्दर से कुछ छोटा ही है।
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