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नौगावा सादात के 1857 की क्रांति के शहीदों को श्रद्धांजलि

मेरा भारत महान
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azad1857 की क्रांति में शहीद नौगावा सादात के शहीदों को आखिर कैसे भूल सकते हैं मेरे पैतृक क़स्बा नौगावा सादात से 1857/58 की स्वाधीनता संग्राम में 18 वीरों को अंग्रेजों ने फँसी देकर शहीद किया था पर अफोस की बात यह है कि भारत को आजाद हुए 70 वर्ष बीत गए पर आज तक न तो किसी राज्य सरकार और न किसी केन्द्र सरकार ने भारतीय स्वतंत्रता संग्राम में शहीदों को श्रद्धांजलि के नाम पर शहीदों को कुछ दिया और न ही नौगावा सादात को कुछ दिया ।

जब पुरे हिंदुस्तान में अंग्रोजों के अत्याचार बढ़ने लगे तब ही मेरठ की धरती से मंगल पांडे ने 1857 में पहली स्वतंत्रता संग्राम का आगाज़ किया उसी आज़ादी की जंग में नवाब मज्जू खां के साथ मिलकर नौगावा सादात के वीरों ने हिस्सा लिया था नवाब मज्जू खां की सहायता से जो हत्यार आज़ादी की जंग में इस्तेमाल करने के लिए मिले थे उस से नौगावा सादात के वीरों ने अंग्रोजो के होश उड़ा दिए थे ।
1857 के गदर के बाद अंग्रेजों ने देश के क्रांत्रिकरियो को ढूंड- ढूंड गिरफ्तार करने लगे और 19 दिसम्बर 1858 को मुरादाबाद की दमदमा कोठी में नौगावा सादात (अमरोहा) उत्तर प्रदेश के 18 वीर शहीदों को फांसी देकर शहीद कर दिया गया वीर शहीदों के नाम इस प्रकार हैं वजीर अली, मज़र अली, खादम अली, असग़र अली, चिराग अली,बाबर अली, आगा अली, नियाज़ अली, रहीम उल्लाह, करीम उल्लाह, इनायत अली, हिदायत अली, सज्जाद अली, फरहत अली,बदर अली, जवाहर अली

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