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कश्मीरयों का दर्द कौन सुनेगा ?

मेरा भारत महान
मेरा भारत महान
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Muslim Organized Free Lungar For Amarnath Yatri किसी ने कश्मीर के लिए कहा था कि कश्मीर प्रथ्वी पर स्वर्ग है परन्तु आज यह नरक बन चुका है कश्मीर को लेकर हम इतने उत्तेजित हैं के बिना सोचे समझे वहां जो कुछ भी हो हम लोगों की नज़रों में कश्मीर की जनता को आतंकवादी बता दिया जाता है जबकि ऐसा कहना कही न कही कश्मीर की जनता के साथ अन्याय होगा।

वैसे सवाल तो उठाना वाजिब है कि आजादी के बाद से ही जम्मू और लद्दाख भारत के साथ खुश हैं, लेकिन कश्मीर खुश क्यों नहीं है? हालांकि जानकर मानते  हैं कि पाकिस्तान की चाल में फिलहाल 2% कश्मीरी ही आए हैं बाकी सभी भारत से प्रेम करते हैं। और भारत के संविधान का पालन करते हैं।

यह बात वहां की मुख्यमंत्री महबूबा मुफ्ती अपने एक इंटरव्यू में भी कह चुकी हैं। एवं इसकी पुष्ठी  लंदन के रिसर्चरों द्वारा राज्य के 6 जिलों में कराए गए सर्वे से भी होती है सर्वे के  अनुसार एक व्यक्ति ने भी पाकिस्तान के साथ खड़ा होने की वकालत नहीं की, वो और बात है कि  कश्मीर में कट्टरपंथी अलगाववादी समय समय पर इसकी वकालत करते रहते हैं क्योंकि उनको वहां से आर्थिक मदद मिलती रहती है।

सच्चाई से मुहं नही मोड़ा जा सकता कि  कश्मीर में अलगाववादी ग्रुप हिंसा करते हैं और कुछ मुट्टी भर लोग पाकिस्तान का समर्थन भी करते हैं और नाजिस्तान का झंडा भी लहराते  हैं पर जैसा के मैंने पहले भी कहा की सब कश्मीरी अलगाववादी के या पाकिस्तान के समर्थक नहीं हैं अगर ऐसा होता तो आज कश्मीर में महबूबा मुफ़्ती+BJP की सरकार नही होती, कश्मीर के उग्रवादीयो का तरीका ग़लत है लेकिन इसके के लिए पुरे कश्मीर को ज़िम्मेदार ठेराना ग़लत होगा।

हालाँकि मैं कश्मीर के बारे में अधिक जानकारी नहीं रखता पर जो टीवी और समाचार पत्रों से जानकारी मिलती है उसी के आधार पर लिख रहा हूँ इस में कोई शक नही की कश्मीर भारत का ताज है और हम इस को बर्बाद नही होने देंगे पर किया यह ज़िम्मेदारी केवल कश्मीर का नक्शा भारत के साथ लगा रहे उस तक सीमित है या कश्मीर की जनता को भी हम अपना मानते हैं ?

भारत के दुसरे राज्यों  की जनता को चाहिये कि वे कश्मीर की जनता को प्यार दे न के नफरत कि नज़र से देखे आज का युवा केवल कश्मीर को नफरत की आंख से देख रहा है आखिर क्यों ? कही ऐसा तो नहीं है के वहां पर बहुसंख्यक आबादी किसी विशेष धर्म की है इस लिए ? अगर ऐसा है तो मैं अपने नौजवानों से अपील करता हूँ की कश्मीर को अपने धर्म के चश्मे से न देख कर एक भारतीय होने और मानवता की ऐनक से कश्मीर की जनता को देखें  कश्मीर के लोग चाहे वे मुसलमान हो या गैर-मुस्लिम, अशिक्षा और दुखभरी जिंदगी जीने को मजबूर हैं, मजे कर रहे हैं तो अलगाववादी, और उनके आका। इस लिए दोष पूरी कश्मीर जनता पर लगाना पाप होगा।

कश्मीर के उग्रवादीयो  को अपनी मांगे पूरी कराने के लिए भारत सरकार से शांति वार्ता करने के लिए खदम उठाना चाहिये पुरे देश की जनता से अपील करनी चाहिये A-47 उठा लेना किसी बात का हल नही होता है।

उग्रवादी बुरहान वानी के मारे जाने के बाद कश्मीर ने जो उग्रवाद  का रूप लिया है वे बहुत ही शर्म की बात है कितने शर्म की बात है कि कश्मीर में उग्रवाद  के चलते हमारे ही देश के +44 लोग , भारतीय सेना के नौजवान मारे गए और सेकड़ों बच्चे , महिलाये घायल हैं, यदि यही गोलियां दुश्मनों को मारने के काम आती तो कितना अच्छा होता।

परन्तु यह भी एक सच ही है के इस उग्रवाद के कारण से मानवजाति के खून की नदियाँ बहाई जा रही हैं जो न देश के हित में हैं और न इंसानियत के हित में है,  अत्याचार भले ही अलगाववादी समहू करे या भारतीय सेना दोनों ही अत्याचार है।

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